By:-Rohit Sharma(9893444866):-
धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना
धीरे धीरे से नरक बनाना
तुमसे डर लगता हे कितना जाने
जाना
तुम जाओ मायके मिल जाये कोई
बहाना
जब भी तुझे देखू मुझको कंही
आराम नहीं
तेरे होंठो पे आर्डर के सिवा
कोई काम नहीं
बन गया हु में घर का खानसामा
धीरे धीरे से नरक बनाना
तूने भी मुझको कितना सताया
रातो में
और टट्टी की चड्डी गुड्डी की
थमाई हाथों में
अब इसमें भी नागर केसा
शर्माना
भुगतो अब आसां नहीं पिंड
छुडाना
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