उस माँ के दामन को कोई नापाक छु नहीं सकता
जिस माँ की सेवा में वीरो की टोली हे
मेरे घर को दीवाली देकर।वो खेले खून की होली हे
मत खेल शेरो से तू गीदड़ की जात का
सब्र का इम्तेहान मत ले अब वक़्त नहीं बात का
अगर ये जट बिगड़ गए तो नामोनिशान नहीं छोड़ेंगे
एक बार कदम उठ गए तो फिर नहीं मोड़ेंगे
सुधर जा नहीं तो बर्बाद हो जाएगा नापाक
जलेगा ऐसा की ढूंढे भी नहीं मिलेगा राख
जय हिन्द जय भारत
ट्रिब्यूट तो भारतीय सेना
कलम से
रोहित नागर