आज ये ब्लॉग लिखते वक़्त मेरे मन में क्रोध, देश के लिए करुणा, देश द्रोहियो के लिए आक्रोश, तथाकथित बुद्धिजीवियो अति सहिष्णु पत्रकार व् मिडिया के लिए तरस हे।
केसी आज़ादी चाहिए हमें और किस से चाहिए वो आज़ादी, किस कीमत पर चाहिए वो आज़ादी?
जो देश विरोधी हरकते कर रहे हे क्या उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं हे की जिस तिरंगे की वो इज्जत नीलाम कर रहे हे उसी तिरंगे के लिए कितने शहीदों ने बलिदान दिए हे।
क्या भगत सिंह ने क़ुरबानी मजाक में दी थी,
आज़ाद ने गोली अपने आप को मारी थी क्यों क्योंकि वो दुश्मन के हाथों नहीं मरना चाहते थे, तो सोंचो उस माँ भारती पर क्या गुजरती होगी जब उसका ही खून उसी के टुकड़े करने की बात करता हे।
वकीलो ने जो किआ वो ठीक किया कोई तो मर्द हे जो अपनी माँ के लिए गाली नहीं सुन सकता,
आप जिसे चाहे गाली दो देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट, आप आज़ाद जो हो , वो भी भारत देश के आज़ाद,
लेकिन साब इतने भी आज़ाद मत बनो के माँ भारती को गाली दो,
कल जनरल बक्शी साहब रोने लगे थे कितना दर्द होता होगा जवानो को जो अपनी जान की बाजी लगाते हे, किन के लिए हमारे लिए और हम जो की आज़ाद हे उनकी क़ुरबानी को गाली दे,
साब आप कभी एक रात ठण्ड में बिना कम्बल के सो जाना तब समझ में आएगा के सियाचिन में वो बर्फ की चादर कैसे ओढ़कर सोते होंगे,
और नेता जी आप देश की जनता की सेवा के लिए हे आप को जनता ने चुना हे देश का मान सम्मान बढाने के लिए आप देशद्रोहियो के हितेषी बन जाते हे सिर्फ कुछ वर्ग विशेष का वोट पाने के लिए, लानत हे आपकी ऐसी ओछी राजनीति पर।
कुछ पत्रकार का वा मीडिया तो इतना सहिष्णु हे की कोई इनकी माँ को गाली दे तो ये उसे भी इनाम और मान सम्मान देने चले जाते हे, क्यों क्योंकि उसके लिए भी इन्हें पैसा जो मिलता होगा।
क्रोध में कुछ अनर्गल लिखने से बेहतर हे के अपने शब्दों को विराम दू और बस यही कामना और दुआ करता हु के ज्यादा समझदार लोगो को थोड़ी सद्बुद्धि दे।
जो भरा नहीं हो भावो से, बहती जिसमे रसधार नहीं
वो ह्रदय नहीं हे पत्थर हे जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं।।
।।जय हिन्द जय भारत।।
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