रोहित नागर की कलम से
ऐ कलम
में लिखू तो क्या लिखूं
ऐ कलम तू ही बता
क्या ये लिखू के रोज मेरे सैनिक गोली खा रहे हे
या ये के आतंकी मौज उडा रहे हे
या ये लिखू
देश को गाली देना फैशन हो गया है
या ये लिखू के युवा भी अब बेमन हो गया है
में ये लिखता तो क्या लोग बदल जाते
नही वो फिर भी रोज अपनी ओकात दिखाते
क्या ये झूठ लिखू के सब ठीक हो रहा है
फिर क्यों आज ये बेचारा किसान रो रहा है
में शब्दों से कृष्ण की पीड़ा बता नहीं सकता
गोमाता की व्यथा पर कुछ छुपा नहीं सकता
चौराहे पर जहाँ गोमाता काट दी जाती है
कुत्तो में वही बिरयानी बाँट दी जाती है
राजनीति अब देश बेचने को उतारू होती है
वोट बैंक के चक्कर में जनता बेचारी रोती हे
ये जनता क्या गद्दारो को नेता नहीं बनाती है
फिर उनके ही हाथों से रोज तमाचे खाती है
वोट मांग के नेताजी आँख दिखाते हे
छोटा सा भी काम अगर हो 100 चक्कर लगवाते हे।
बस बन्द करो ये तानाशाही जनता जाग जायेगी
एक बार जो जाग गई ये फिर वापस सो जायेगी
ऐ कलम में अब कुछ और नहीं लिख पाउँगा
बस अपने क्रोध को यही दफन कर जाऊंगा।।