Sunday, July 09, 2017

कहानी

कहानी अपनी अधूरी सही खत्म होने को हे
आँखे सुखी पानी नही हे मगर रोने को हे
तमाशा देखने वाला तमाशा देखता है
ये सफर अधूरा ही सही खत्म होने को हे।।

अभी तो दिन था मेरा फिर क्यों लगता है शाम होने को हे
प्यार मिला ही नहीं कभी बस नफरते ढोने को हे
मर जाने के बाद भूल जाओगे मुझे पता है
मगर ये शाम आज यादे सँजोने को हे
ये सफर अधूरा ही सही खत्म होने को हे।।

क्या लिखूं

रोहित नागर की कलम से

ऐ कलम
में लिखू तो क्या लिखूं
ऐ कलम तू ही बता
क्या ये लिखू के रोज मेरे सैनिक गोली खा रहे हे
या ये के आतंकी मौज उडा रहे हे
या ये लिखू
देश को गाली देना फैशन हो गया है
या ये लिखू के युवा भी अब बेमन हो गया है

में ये लिखता तो क्या लोग बदल जाते
नही वो फिर भी रोज अपनी ओकात दिखाते

क्या ये झूठ लिखू के सब ठीक हो रहा है
फिर क्यों आज ये बेचारा  किसान रो रहा है

में शब्दों से कृष्ण की पीड़ा बता नहीं सकता
गोमाता की व्यथा पर कुछ छुपा नहीं सकता

चौराहे पर जहाँ गोमाता काट दी जाती है
कुत्तो में वही बिरयानी बाँट दी जाती है

राजनीति अब देश बेचने को उतारू होती है
वोट बैंक के चक्कर में जनता बेचारी रोती हे

ये जनता क्या गद्दारो को नेता नहीं बनाती है
फिर उनके ही हाथों से रोज तमाचे खाती है

वोट मांग के नेताजी आँख दिखाते हे
छोटा सा भी काम अगर हो 100 चक्कर लगवाते हे।

बस बन्द करो ये तानाशाही जनता जाग जायेगी
एक बार जो जाग गई ये फिर वापस सो जायेगी

ऐ कलम में अब कुछ और नहीं लिख पाउँगा
बस अपने क्रोध को यही दफन कर जाऊंगा।।

Friday, March 31, 2017

नारी शक्ति

नवरात्रि के पावन पर्व की शुभकामनाएं
विश्वास है नारी शक्ति का सम्मान होगा।।
जय अम्बे जय दुर्गे
****-----****
किसी को देख के रोता कोई खुश हो नहीं सकता।
जो ओरो को रुलाता हे वो इंसा हो नहीं सकता।
केसा मर्द होगा वो जो बेटी को सताता है
हवस की आग में कैसे बहन को भूल जाता है।
बता नागर रहम इनपर कम हो नहीं सकता
किसी को देख के रोता कोई खुश हो नहीं सकता।

शांत हे तो शांति हे, क्रोध हे तो वो काली हे
वो जिस रूप में भी हे शान घर की निराली है
पढ़ने दो जीने आगे उसको बढ़ने दो
क्या इंसानो से इतना भी करम अब हो नहीं सकता
किसी को देख के रोता कोई खुश हो नहीं सकता।

कवि रोहित नागर

माँ माँ ओ माँ ये केसी दिवाली हे

By:-Rohit Sharma(9893444866):- माँ माँ ओ माँ ये केसी दिवाली हे सबके घर उजाला हे, अपनी राते काली हे माँ माँ कितने दिन से पापा का दे...