नवरात्रि के पावन पर्व की शुभकामनाएं
विश्वास है नारी शक्ति का सम्मान होगा।।
जय अम्बे जय दुर्गे
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किसी को देख के रोता कोई खुश हो नहीं सकता।
जो ओरो को रुलाता हे वो इंसा हो नहीं सकता।
केसा मर्द होगा वो जो बेटी को सताता है
हवस की आग में कैसे बहन को भूल जाता है।
बता नागर रहम इनपर कम हो नहीं सकता
किसी को देख के रोता कोई खुश हो नहीं सकता।
शांत हे तो शांति हे, क्रोध हे तो वो काली हे
वो जिस रूप में भी हे शान घर की निराली है
पढ़ने दो जीने आगे उसको बढ़ने दो
क्या इंसानो से इतना भी करम अब हो नहीं सकता
किसी को देख के रोता कोई खुश हो नहीं सकता।
कवि रोहित नागर